Gurugram

1947 के विभाजन का दर्द, बुजुर्गों की जुबानी – के बी वधवा

kb wadhwa, 1947

 

Viral Sach – गुरूग्राम : 1947 – अंग्रेजों ने जाते-जाते धर्म के आधार पर भारत के दो टुकड़े कर दिए | हिन्दुस्तान–पाकिस्तान वास्तव में सभी मुसलमानों को पाकिस्तान जाना था और सभी हिन्दुओं को भारत आना था | हमारी होदी बस्ती जिला डेरा गाजी खान में आती थी और शहर से लगभग 10 मील दूर थी, हमारी बस्ती से एक तरफ आदिल पीर, बातल और यारु था, दूसरी तरफ सदरदीन और गजाने थी |

होदी बस्ती के अन्दर लगभग 125-130 घर थे | उनमें से 25-30 हिन्दुओं के बाकि सभी मुसलमानों के थे | हिन्दू लोग दुकानदारी करते थे और खेतीबाड़ी करते थे और करवाते थे | हमारे दादाजी दुकान करते थे और जमींदारा भी करते थे | मेरे पिताजी ने इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए दुकान का काम बढ़ा दिया और जमींदारा भी बढ़ाया | हमारे पास खजूर के पेड़ थे और अपना कुआं वधु आला था | कार्य बढ़ता गया पिताजी ने लेन-देन का काम भी शुरू कर दिया |

मुसलमान लोग अपने गहने गिरवी रख जाते थे | सारे हिन्दू मंदिर जाने के साथ-2 गुरूद्वारे की अधिक पूजा-आराधना और पाठ करते थे | हमारे घर में गुरु ग्रन्थ साहिब की बीड थी और पिताजी सवेरे शाम पाठ करते थे ओर लोग आ जाते थे | उस वक्त लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे | गुरुमुखी यह किडकी का प्रयोग करते थे | हमारी बस्ती में प्राइमरी स्कूल बना | हम लोग वहीं पढ़ते थे |

प्राइमरी के बाद मिडिल स्कूल बातल में था या सदरदीन में था | ज्यादातर चौथी पास करके दुकानदारी करते थे | नौकरियाँ नहीं थी | मैं भी उस वक्त लगभग 9 वर्ष का था, तीसरी कक्षा में पढ़ता था | सभी लोग सदा जीवन और भाईचारे में विश्वास करते थे |

हमारे घर में गाय, भैंस, घोड़े, खच्चर और अनाज था | मुसलमान हमारे यहाँ मुजेरे का कार्य करते थे और हमारे घर से दूध, लस्सी लेकर जाते थे | मई-जून 1947 को अफवाह फैली कि भारत के टुकड़े हो गये और हमारी बस्ती, हमारा जिला पाकिस्तान में आ गया | अब मुसलमान बाहर से आकर हमे धमकाते थे कि अब आपका सब कुछ हमारा हो जाएगा | इस प्रकार आते-आते मारकाट शुरू हो गई |

हमारे गाँव के मुसलमान हमें कहते कि आप सब छोड़कर चले जायो वरना वो लोग मार देंगे | गजाने, जहाँ हमारे मामा, बहन, बुआ, मासी तथा अन्य रिश्तेदार थे, वहाँ मारकाट शुरू हो गई | कई भाईयों को क़त्ल कर दिया, बच्चों और औरतों को काटने लगे | यही हालात बातल और आदिल पीर में थे | लोग जान बचाने का प्रयास करने लगे | जब यह सुना, हमारी बस्ती से भी लोग भी कुछ सामान लेकर शहर की तरफ भागे |

मेरी दादी, मैं और मेरी बहन रह गये | मेरे पिताजी का स्वर्गवास 3-4 साल पूर्व हो चूका था | मेरी बड़ी बहन की शादी हो चुकी थी अंत में हमारे पास हमारे मुजेरे आये और कहा कि कल आप चले जाओ वरना लड़की उठा लेगे और आप दोनों को मार देंगे | सुबह हमें मुसलमानों के कपड़े पहना आर एक मुजेरा, हमें डेरा गाजी खान की ओर ले चला | पानी पीने का गिलास भी नहीं उठाने दिया | रास्ते में आये तो देखा सारे हिन्दू चले गये है |

मुजेरे ने दिखाया कि यारु में आग लगी थी | हम दो घंटे चलने के बाद शहर पहुंचे | वहाँ धर्मशाला और कैम्पों में रखा गया | हमें कहा गया कि दो-तीन दिनों में ट्रक से आपको मुजफ्फरगढ़ भेजा जाएगा | यह भी कहा कि कुछ सामान मत उठाओ | लड़की का विवाह कर दो | हमारी बहन का रिश्ता पहले ही हो चुका था | इसलिए हमने उन दोनों को श्री गोपीनाथ मंदिर में माथा टेका कर शादी कर दी और फेरे भारत पहुंचकर कराए |

 

1947

 

2 दिन बाद मेरे फूफा जी मेरी दादी को साथ लेकर फिर हमारे घर गये कुछ समान और 1 ऊंट और 5 बोरी अनाज कैंप में दिया | हमें पता चला कि हमारे घर – बार लूट लिए गये है, पशु इत्यादि सब ले गये और दुकानों पर कब्ज़ा कर लिया गया है |

भारतीय फोर्ज हमें फ़ौज हमें ट्रकों में बिठाकर मुजफ्फरगढ़ लायी | वहाँ कैंप लाइन के साथ रखा गया | हमसे पहले वालों को गाड़ी में बिठाया गया तथा कहा गया कि कहीं उतरना नहीं | हाथ बाहर नहीं निकालना | तीसरे दिन हमें भी बिठाया गया | छोटे बच्चों को सीट के नीचे, जवान सीट पर, बीच वाली सीट पर बड़े बच्चे और उन-उन पर औरते थी |

इस प्रकार चुपचाप मन में भगवान् का पाठ करते रहे | गाड़ी कही रूकती तो डर जाते कि अब कटेंगे | इस प्रकार सुबह हम अटारी पहुंचे वहाँ नारे लग रहे थे | पता चला कि यह भारत है | सिख साहिबानों ने हमने पीने और नहाने का पानी दिया और लंगर छकाया | कैंप में रखा फिर वहाँ से शाहाबाद मारकंडा भेजा गया हमारे फूफा जी और बुआ जी और उनकी लड़की साथ थी |

शाहाबाद में हमें कहा गया कि यह मुसलमानों के मकान है तोड़कर कब्ज़ा कर लो परन्तु सभी ने कहा कि हमें अपनी कमाई का चाहिए हराम का नहीं | इसके बाद फैसला आया कि डेरा गाजी खान को गुड़गाँव अलाट किया गया | हमें ट्रक से गुड़गाँव लाया गया |

गुड़गाँव गाँव के बाहर छोटे तम्बू लगे और गौशाला के पास भी लगे | गुडगाँव आकर जो सब परिवार बिछड़ गये थे, आपस में मिलने लगे | सभी लोग मेहनती, कारोबारी थे जिसको जो काम नज़र आया करना शुरू कर दिया | आहिस्ता –आहिस्ता यहाँ स्कूल बने, बच्चे पढ़ने लगे | सभी जवान कोई न कोई काम करने लगे | कुछ समय बाद लोगों ने राशन छोड़कर मेहनत का खाना खाने लगे |

ख़ुशी की बात थी कि सभी लोग अपनी जमीन, जायदाद, दुकान, सोना, रुपया सब छोड़ आये परन्तु सब ने अपना धर्म इज्जत और संस्कृति नहीं छोड़ी | यहाँ के लोगों ने भी मदद की |

समय बदलता गया, मैं भी मेहनत मजदूरी करके और पढ़ाई का रास्ता बना कर आगे बढ़ा, प्रसन्नता का विषय है लोगों में एक-दूसरे की मदद भी की |

भीख नहीं मांगी, चोरी नहीं की, इज्जत नहीं गवाई, धर्म नहीं छोड़ा और देश भारत की जय-जयकार करते रहे | मैंने भी मेहनत करके शिक्षा ग्रहण करके नौकरी शुरू की, शादी हुई, परिवार बढ़ा | समाजसेवा की ओर ध्यान दिया क्योंकि एक दुखी ही दुखी का कष्ट जान सकता है |

आजकल भगवान् की कृपा से सब ठीक-ठाक हो गया, परिवार बन गया, मकान बन गया, समाज के अन्दर साथियों का सहयोग और प्रभु कृपा से सब कुछ ठीक है |

Translated by Google 

Viral Sach – Gurugram: 1947 – On the way, the British divided India into two pieces on the basis of religion. Hindustan-Pakistan In fact all Muslims were to go to Pakistan and all Hindus were to come to India. Our Hodi Basti came in District Dera Ghazi Khan and was about 10 miles away from the city, on one side of our Basti were Adil Pir, Batal and Yaru, on the other side were Sadardin and Gajane.

There were about 125-130 houses inside Hodi Basti. Out of them 25-30 belonged to Hindus rest all belonged to Muslims. Hindus used to do shopkeeping and farming and got it done. Our grandfather used to run a shop and was also a landlord. Taking this work forward, my father increased the work of the shop and also increased the landlord. We had palm trees and our well was a bride niche. The work kept increasing, father also started the work of transactions.

Muslims used to pledge their ornaments. Along with going to the temple, all the Hindus used to do more worship and recitation of the Gurudwara. There was a beed of Guru Granth Sahib in our house and father used to recite it in the morning and evening and people used to come. At that time people were not very educated. Gurmukhi used to use this kidki. A primary school was built in our colony. We used to study there.

After primary, the middle school was in Batal or Sadardin. Most of them used to do shopkeeping after passing fourth. There were no jobs. I was also about 9 years old at that time, studying in third class. Everyone always believed in life and brotherhood.

We had cows, buffaloes, horses, mules and grains in our house. Muslims used to do the work of mujre at our place and used to take milk and lassi from our house. Rumors spread in May-June 1947 that India was divided and our settlement, our district came to Pakistan. Now Muslims used to come from outside and threaten us that now your everything will become ours. In this way, while coming, the fight started.

The Muslims of our village used to tell us to leave all of you and go away otherwise they will kill you. In Gajane, where our maternal uncle, sister, aunt, aunt and other relatives were staying, the fighting started. Many brothers were killed, children and women were bitten. The same situation prevailed in Batal and Adil Pir. People started trying to save their lives. On hearing this, people from our colony also ran towards the city with some belongings.

My grandmother, me and my sister were left. My father had passed away 3-4 years back. My elder sister was married, at last our Mujres came to us and said that tomorrow you go away otherwise they will pick up the girl and kill both of you. In the morning we were dressed in Muslim clothes and a mujera, took us towards Dera Ghazi Khan. Did not even allow him to lift a glass of drinking water. When he came on the way, he saw that all the Hindus had gone.

Mujere showed that Yaru was on fire. We reached the city after walking for two hours. There they were kept in Dharamsala and camps. We were told that in two-three days you will be sent to Muzaffargarh by truck. Also said don’t pick up some stuff. marry the girl Our sister’s relationship had already happened. That’s why we got both of them married by bowing their heads in Shri Gopinath temple and got them done after reaching India.

After 2 days, my uncle took my grandmother along and then went to our house and gave some goods and 1 camel and 5 sacks of grain in the camp. We came to know that our houses and bars have been looted, animals etc. have all been taken away and shops have been occupied.

The Indian forge brought us to Muzaffargarh by making us sit in the army trucks. There the camp was placed along the line. Those before us were made to sit in the car and were told not to get down anywhere. Do not take out hand. On the third day we were also made to sit. Small children were under the seat, youth on the seat, older children on the middle seat and women on each of them.

In this way, keep reciting God silently in your mind. Had the car stopped somewhere, they would have been afraid that they would be cut off. Thus in the morning we reached Attari where slogans were raised. Turns out it’s India. The Sikhs gave us drinking and bathing water and served langar. Kept in the camp, then from there Shahabad was sent to Markanda, our uncle and aunt and their daughter were with them.

In Shahabad, we were told that these houses belong to Muslims, demolish them and take possession, but everyone said that we need our earnings, not Haram. After this the decision came that Dera Ghazi Khan was allotted to Gurgaon. We were brought to Gurgaon by truck.

Small tents were put up outside Gurgaon village and also near the cow shed. All the families who had been separated after coming to Gurgaon started meeting each other. All the people were hardworking, businessmen who started doing whatever work they saw. Slowly, slowly schools were built here, children started studying. All the soldiers started doing one or the other work. After some time, people left the ration and started eating hard-earned food.

It was a matter of happiness that all the people left their land, property, shop, gold, money but all did not leave their religion, respect and culture. The people here also helped.

Time kept changing, I also moved forward by working hard and making way for studies, it is a matter of happiness that people also helped each other.

Didn’t beg, didn’t steal, didn’t lose respect, didn’t leave religion and country kept on cheering India. I also worked hard, got educated, started a job, got married, grew a family. I paid attention to social service because only a sad person can know the pain of the sad.

Nowadays everything is fine by the grace of God, family is built, house is built, co-operation of friends within the society and everything is fine by the grace of God.

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