Viral Sach – 1947 – दाजल, तहसील जामपुर जिला डेरा गाजी खान का चित्रण :
विसंदे दे खीर पेड़े : चाचा विसंदाराम थे, अंग्रेजों से भी गोरे, दूर-दूर तक मशहूर थे, विसंदे दे खीर पेड़े
हुकमी दी दाल : एक मशहूर कहावत है, दाल टब्बर पाल, जदों घर न पकदी सब्जी, घिन आंदे हुकमी दी दाल
तोले दा खप्पा : सूद पर देते थे पैसे, श्री तोलाराम मोंगिया, लोग मानते इसे अनुकम्पा, औरतें दुकान के जिस जगह करती लेन-देन, वह था तोले दा खप्पा
तालाब से पानी : बड़ी दूर से एक तालाब से लाना पड़ता था पीने का पानी, वहीं से पानी पीते पशु-पक्षी और वही पीते दाजल के प्राणी
रिझू दी हवेली : दाजल में सबसे बड़ा मकान और बहुत ऊँचा उसका गेट, वह थी रिझू राम आहूजा की हवेली, घुस जाए वह घोड़े पर बैठ
दो महान हस्तियाँ : वैसे तो डॉक्टर, व्यापारी, समाज सेवी, बहुत थे परन्तु दो थे खासम-खास, एक थे महाशय चांदन राम, दूसरे थे जैलदार मुखी नारायण दास
मजार : वैसे तो दाजल में मंदिर-मस्जिद थे, पर मशहूर थी एक मजार, नाम था बड़ा सुल्तान, मन्नत मानते थे दूर-दूर से नर-नार
मंगूतारु, तहसील ननकाना साहिब, जिला लाहौर का चित्रण :
मेरे पिता श्री स्वर्गीय मास्टर प्रेम दत्त जी मूल रूप से दाजल तहसील जामपुर, जिला डेरा गाजी खान के निवासी थे | उन्होंने लाहौर ननकाना साहिब, शेखुपुरा आदि स्थानों के स्कूलों में नौकरी की थी | विभाजन के समां वह मंगूतारू तहसील ननकाना साहिब जिला लाहौर में एक सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे | मंगूतारु दो बातों के लिए मशहूर था |
कनक पिन्जण (पनचक्की) दी मशीन : मंगूतारु के सेठ इंद्र की एक कनक पिन्जन की मशीन थी लगभग 22-25 मील के चक्कर में केवल यही कनक पीसने की मशीन थी |
सेठ इंद्र के बारे में मशहूर था :
कनक पिन्जन दी मशीन दा घुग्घू बोलदा, सेठ इंद्र बेईमान आटा घट तोलदा
कपाह दा बालन : मंगूतारु कपास की खेती के लिए बहुत मशहूर था | सरकारी स्कूल के सामने सड़क के पास एक बहुत बड़ा बाड़ा था, जिसमें कपास की लकड़ियाँ भरी होती थी | कस्बे का किसी वर्ग का कोई भी घर वहाँ बालन (लकड़ी) ले सकता था, जिसे कपाह दा बालन कहते थे | सभी किसान कपाह के बालन को बाड़े में डालते थे |
विभाजन के समय मंगूतारु से निकलना पड़ा था | रमजान जुलाहे ने एक गद्दे (बैलगाड़ी) प्रदान की | काफिले में सारे गद्दे ही गद्दे थे | जहाँ रात को काफिला रुकता, मुसलमान लूट की नीयत से रात को हमला बोलते, जवान लड़कियों को उठाने की कोशिश करते | काफिले के लोगों ने मुंहतोड़ जवाब दिया, फिर भी कई परिवारों के सदस्यों को मृत्यु का सामना करना पड़ा | लाहौर पहुँचने में 5 रातें लगी, जो बड़ी भयानक थी | ऐसे दिन भगवान दुश्मन को भी ना दिखाए |
Translated by Google
Viral Sach – 1947 – Illustration of Dajal, Tehsil Jampur District Dera Ghazi Khan:
Visande De Kheer Pede: Uncle Visandaram was fairer than the British, was famous far and wide, Visande De Kheer Pede
Hukmi di dal: There is a famous saying, dal tabbar pal, jadon ghar na pakdi sabzi, ghin aande hukmi di dal
Tole Da Khappa: Mr. Tolaram Mongia used to give money on interest, people considered it as kindness, the place where women used to transact in the shop was Tole Da Khappa
Water from the pond: Drinking water had to be brought from a long distance from a pond, animals and birds drink water from there and the creatures of Dajal drink the same.
Rijhu Di Haveli: The biggest house in Dajal and its gate is very high, it was the mansion of Rijhu Ram Ahuja, he can enter on a horse
Two great personalities: although there were many doctors, businessmen, social workers, but two were special, one was Mr. Chandan Ram, the other was Jaildar Mukhi Narayan Das
Mazar: Although there were temples and mosques in Dajal, but there was a famous mazar, the name was Bada Sultan, men and women used to worship from far and wide.
Illustration of Mangutaru, Tehsil Nankana Sahib, District Lahore:
My father Mr. Late Master Prem Dutt Ji was originally a resident of Dajal Tehsil Jampur, District Dera Ghazi Khan. He had worked in schools in places like Lahore Nankana Sahib, Sheikhupura etc. At the time of partition, he was the headmaster of a government school in Mangutaru Tehsil Nankana Sahib District Lahore. Mangutaru was famous for two things.
The Kanak Pinjan (Water Mill) machine: Seth Indra of Mangutaru had a Kanak Pinjan machine, which was the only Kanak grinding machine in a circle of about 22-25 miles.
Seth was famous about Indra:
Kanak Pinjan The Machine Da Gugghu Bolda, Seth Indra Beimaan Atta Ghat Tolda
Kapah da Balan: Mangutaru was very famous for the cultivation of cotton. In front of the government school, there was a huge paddy near the road, in which cotton wood was filled. Any house of any class in the town could take balan (wood) there, which was called Kapah da Balan. All the farmers used to put the cotton balls in the shed.
Had to leave Mangutaru at the time of partition. Ramzan Julahe provided a mattress (bullock cart). All the mattresses in the convoy were mattresses. Where the convoy stops at night, Muslims attack at night with the intention of looting, young men try to pick up girls. The people of the convoy gave a befitting reply, yet many family members had to face death. It took 5 nights to reach Lahore, which was terrible. May God not show even to the enemy on such a day.
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