Viral Sach – गुरुग्राम : 1947 – मैं तीर्थदास गेरा पुत्र स्व. श्री पुन्नू नाम निवासी मकान नं. 48, शिवपुरी, गुडगाँव का रहने वाला हूँ | मेरा जन्म 28 फ़रवरी 1938 को गाँव किरादी कोट तहसील बक्खर जिला मियांवाली में हुआ |
1947 को देश के विभाजन के दौरान मैं 9-10 साल का था | हमारे जिले में कईं गेरा बिरादरी के सदस्यों व अन्य भाई-बहनों का दर्दनाक तरीके से कत्ल कर दिया गया |
हम लोगों ने अपनी जान बचाने के चक्कर में खाली हाथ गुड़गांव में गौशाला कैंप में 1 साल तक बिताया तत्पश्चात सरकार की तरफ से भीम नगर गुड़गांव में 30-40 गज में झोपड़ियाँ अलाट हुई | अपना दुःख-दर्द झेलते हुए अपनी मेहनत मजदूरी द्वारा अपना घर बनाया व बच्चों को शिक्षा दिलाई, जिसके कारण आज हम मध्यम वर्ग की श्रेणी में गिने जाते है |
मैं आप सभी का शुक्रगुजार हूँ कि आप लोगों ने हमे अपनी व्यथाओं का ब्यौरा मांगकर हम बुजुर्गों का हौसला बढ़ाया है | मैं परम पिता परमात्मा से आपको, आपकी सेवा भावनाओं की कद्र करता हूँ तथा आप सभी सज्जनों का आभार प्रकट करता हूँ |
Translated by Google
The pain of 1947 partition, in the words of elders – Teerthdas Gera
Viral Sach – Gurugram: I am Teerthdas Gera’s son Late. Mr. Punnu resident of house no. I am a resident of 48, Shivpuri, Gurgaon. I was born on 28 February 1938 in Village Kiradi Kot Tehsil Bakkhar District Mianwali.
I was 9-10 years old during the partition of the country in 1947. Many Gera community members and other brothers and sisters were brutally murdered in our district.
In order to save our lives, we spent 1 year empty handed in Gaushala Camp in Gurgaon, after that huts were allotted in 30-40 yards in Bhim Nagar Gurgaon by the government. Bearing our sorrows and pains, we built our house with our hard work and gave education to our children, due to which today we are counted in the middle class category.
I am thankful to all of you that you have encouraged us elders by asking us for details of our grievances. I appreciate you, your service feelings from the Supreme Father Supreme Soul and express my gratitude to all of you gentlemen.
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