Viral Sach : BJP – बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार में सत्ताधारी पार्टी के ही मंत्री संदीप सिंह का मामला अभी शांत नहीं हुआ था की अब गुरुग्राम में भाजपा के कथित प्रवक्ता पर एक ऐसी ही FIR दर्ज होने का मामला प्रकाश में आया है।
पीड़िता ने मीडिया से बात करते हुए बताया की एक बिजनेस पार्टनरशिप में विवाद के दौरान डा डीपी कौशिक ने उस महिला के साथ जबरन छेड़खानी की और गाली गलोच किया। लेकिन राजनैतिक प्रभावशाली व्यक्ति होने के कारण स्थानीय पुलिस ने भी कोई कार्यवाही नहीं की।
जिसके लिए सीएम विंडो पर भी गुहार लगाई गयी। लेकिन अपनी पार्टी के नेताओं पर कार्यवाही करने के लिए इन्साफ की खिड़की भी बंद हो गयी। परन्तु पीड़िता ने हिम्मत नहीं हारी और न्याय के मंदिर का दरवाजा खटखटाया तो न्यायलय ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए FIR दर्ज करने के आदेश दिए।
अब पीड़िता का कहना है की न्यायलय के आदेशों के बाद मजबूरीवश पुलिस प्रशासन ने FIR तो दर्ज कर दी है। लेकिन पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाते हुए दोषी को राहत देने के लिए उचित धाराएं नहीं लगाई गयी। शिकायत के अनुसार गाड़ी छीनने के आरोप में धारा 379 A लगाई जानी चाहिए थी। जो की नहीं लगाई गयी। लेकिन पीड़िता का कहना है की उन्हें न्यायलय पर पूरा भरोसा है और उन्हें इन्साफ मिलेगा।
लेकिन यहां सवाल ये है की आखिर एक के बाद एक भाजपा नेताओं के कारनामे ही क्यों सामने आ रहे हैं और जब किसी भी पीड़िता द्वारा इन्साफ के लिए शिकायत की जाती है तो शुरूआती दौर में ही उसे दबाने का प्रयास क्यों किया जाता है।
ऐसी स्थिति में सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं, महिला सशक्तिकरण आदि के दावों को कैसे पूरा किया जा सकेगा। अपनी पार्टी के नेताओं की शिकायत के दौरान सीएम विंडो भी क्यों निष्पक्ष कार्यवाही नहीं कर पाती।
ऐसे तमाम सवाल कहीं न कहीं आम जनता में सरकार के प्रति अविश्वास पैदा कर रहे हैं। लेकिन देखना ये होगा की आखिर कब मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपनी ईमानदार नजर से अपने ही आसपास घूम रहे असमाजिक लोगों को पहचानने में कामयाब हो पाएंगे।
Translated by Google
Viral Sach: Sandeep Singh, the minister of the ruling party in the government who gave the slogan of Beti Bachao, Beti Padhao, was not settled yet that now a similar FIR has come to light on the alleged spokesperson of BJP in Gurugram.
Talking to the media, the victim told that during a dispute in a business partnership, Dr. DP Kaushik forcibly molested and abused the woman. But being a politically influential person, the local police also did not take any action.
For which an appeal was also made on the CM window. But the window of justice has also closed to take action against the leaders of his party. But the victim did not lose courage and knocked on the door of the temple of justice, then the court ordered registration of FIR keeping all the facts in mind.
Now the victim says that after the orders of the court, the police administration has registered the FIR under compulsion. But adopting a biased attitude, appropriate sections were not invoked to give relief to the guilty. According to the complaint, Section 379A should have been imposed on the charge of snatching the vehicle. Which was not installed. But the victim says that she has full faith in the court and she will get justice.
But the question here is that why the exploits of BJP leaders are coming to the fore one after the other and when a complaint is made by any victim for justice, why is it tried to be suppressed in the initial stage itself.
In such a situation, how can the claims of the government like save daughter, educate daughter, empower women, etc. be fulfilled. Why even the CM Window is not able to take fair action during the complaint of its party leaders.
Somewhere, all such questions are creating mistrust towards the government among the general public. But it remains to be seen when Chief Minister Manohar Lal Khattar will be able to identify the anti-social people roaming around with his honest eyes.
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