Gurugram

Bodhraj Sikri – संतों को राजऋषि घोषित करवाने का है प्रयास

Bodhraj sikri

Viral Sach – गुरुग्राम : प्रसिद्ध समाजसेवी एवं हरियाणा सीएसआर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष Bodhraj Sikri ने कहा कि संत, महात्माओं से पौराणिक काल में शिक्षा-दीक्षा ली जाती थी।

उन्होंने पुरजोर अपील करते हुए कहा कि संतों को राजऋषि घोषित किया जाना चाहिए, ताकि हम अधिकारिक रूप से उनके पास जाकर ज्ञान अर्जित करें। यह प्रयास वे कर भी रहे हैं। यह बात उन्होंने रविवार को यहां सेक्टर-109 स्थित एक निजी स्कूल में शिक्षक दिवस सम्मान समारोह में कही।

संस्कृति के सारथी संस्था की ओर से आयोजित किये गये इस समारोह में महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव, शिक्षाविद् डा. अशोक दिवाकर, साहित्यकार मदन साहनी, कैनविन फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. डी पी गोयल अतिथि के रूप में पहुंचे।

संस्था प्रमुख रामबहादुर सिंह व शिक्षाविद् अर्जुन वशिष्ठ ने सभी अतिथियों का शाब्दिक स्वागत करते हुए उनके जीवन के पहलुओं से जुड़े संस्मरण सांझा किये।
अपने संबोधन में बोधराज सीकरी ने आगे कहा कि जिस गुरुग्राम में हम बैठे हैं, रहते हैं, वह गुरुओं का ग्राम है।

वे सभी गुरुओं को नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा पद्धति में वर्तमान में जो बदलाव किया गया है, उसे हमें स्वीकार करना चाहिए। यह हमारी आने वाली पीढिय़ों को संस्कारवान बनाएगा। हमें परिवर्तन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान ने कर्तव्य हमें दिये हैं।

हमारे कर्तव्य हमारे अधिकारों से ज्यादा हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि शिक्षा पद्धति में भी इसे शामिल किया जाए। साथ ही उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे इन कर्तव्यों, अधिकारों को विद्यार्थियों को बताएं। उन्हें कोई नहीं रोकेगा।

श्री सीकरी ने आगे कहा कि जहां ज्ञान है वहां विज्ञान है, जहां विज्ञान है वहां धनवान है। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि अध्ययन के साथ स्वाध्यन, समीक्षा, मंथन, चिंतन जब तक नहीं करेंगे, तब तक ज्ञानवान नहीं होंगे। उन्होंने संस्कारों का समावेश करते हुए भावी पीढिय़ों में हर बहन, बेटी को सम्मान देने का संदेश दिया।

 

Bodhraj sikri

 

ज्ञान, गुणों का सागर होता है शिक्षक: स्वामी धर्मदेव

कार्यक्रम में अपनी ओजस्वी वाणी से संदेश देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने सभी शिक्षकों को अच्छे समाज का निर्माण करने की बात कही। अच्छे समाज का निर्माण करने में शिक्षकों की महत्ती भूमिका सदा ही रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माण करता है।

एक बच्चा जब शिक्षक के पास पहुंचता है तो वह खाली होती है। उसके अंदर ज्ञान, गुण का सागर शिक्षक ही भरते हैं। सभी शिक्षकों को अपने कार्य को पूरी नेकी, सच्चाई, ईमानदारी के साथ करना चाहिए। आने वाली पीढिय़ों को संस्कारवान बनाना शिक्षकों का ही कर्तव्य है।

हमें संस्कारों में बंधी हुई शिक्षा चाहिए: डा. दिवाकर

इस अवसर पर शिक्षाविद् डा. अशोक दिवाकर ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के दौर में हमारे संस्कार बहुत पीछे छूट गये हैं। फिर से अपनी पीढिय़ों को संस्कारवान बनाने के लिए हम सबको पूरी ऊर्जा के साथ काम करते हुए अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि गुरू की प्रेरणा से हम सब ऊर्जावान होते हैं। आज हमें संस्कारों में बंधी हुई शिक्षा चाहिए।

शिक्षित व्यक्ति से ही हर अच्छे काम की उम्मीद की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि करोड़ों रुपया पानी की तरह शिक्षा पर बहाया जा रहा है, लेकिन परिणाम वह नहीं आ रहा जो हमें चाहिए। केवल सूचनाओं का संग्रहण करना शिक्षा नहीं है, बल्कि हमें सूचना पर शोध, शोध पर बोध और बोध पर चिंतन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति देश में आग गई है। इसे प्राचीन शिक्षा पद्धति से जोड़कर हमें पढ़ाना है।

Translated by Google 

Viral News – Gurugram: Famous social worker and Vice President of Haryana CSR Trust Bodhraj Sikri said that education was taken from saints and mahatmas in ancient times.

He strongly appealed that the saints should be declared as Raj Rishis, so that we can acquire knowledge by going to them officially. They are also making this effort. He said this at the Teachers’ Day felicitation ceremony at a private school located in Sector-109 here on Sunday.

Mahamandaleshwar Swami Dharmadev, educationist Dr. Ashok Diwakar, litterateur Madan Sahni, President of Canwin Foundation Dr. DP Goyal arrived as guests in this function organized by the charioteer of culture.

Organization head Rambahadur Singh and educationist Arjun Vashisht shared reminiscences related to aspects of their lives while welcoming all the guests.
In his address, Bodhraj Sikri further said that the Gurugram in which we are sitting and live is the village of Gurus.

They bow down to all the gurus. He said that we should accept the changes that have been made in our education system at present. This will make our future generations cultured. We must change. He also said that the constitution has given duties to us.

Our duties are greater than our rights. He has written a letter to the state government requesting that it should be included in the education system as well. Along with this, he asked the teachers to tell these duties and rights to the students. No one will stop them.

Shri Sikri further said that where there is knowledge, there is science, where there is science, there is wealth. He told the teachers that unless they do self-study, review, brainstorming and contemplation along with studies, they will not become knowledgeable. Inculcating the values, he gave the message of giving respect to every sister and daughter in future generations.

Teacher is an ocean of knowledge and qualities: Swami Dharmadev

Mahamandaleshwar Swami Dharmadev, giving a message in the program with his powerful voice, told all the teachers to build a good society. Teachers have always played an important role in building a good society. He said that the teacher builds the nation.

When a child reaches the teacher, it is empty. The teacher fills the ocean of knowledge and virtues in him. All teachers should do their work with complete goodness, truthfulness, honesty. It is the duty of the teachers to make the coming generations cultured.

We need education tied to values: Dr. Diwakar

On this occasion, educationist Dr. Ashok Diwakar said that in the era of western culture, our values have been left far behind. To make our generations cultured again, we all have to work with full energy and take our culture forward. He said that we all get energized by the inspiration of the Guru. Today we need education bound in values.

Every good work is expected from an educated person. He also said that crores of rupees are being spent on education like water, but the result is not coming what we want. Only collecting information is not education, but we should do research on information, understanding on research and thinking on understanding. He said that the new education policy has caught fire in the country. We have to teach it by connecting it with the ancient education system.

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