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Bodhraj Sikri – मेहनतकश किसानों की लाशों पर दलालों ने सेंकी रोटियां

Bodhraj Sikri

गुरुग्राम : Bodhraj Sikri – किसानों के हित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार तीन अध्यादेश लेकर आई, लेकिन इन अध्यादेशों का विरोध करके दलालों ने मेहनतकश किसानों की लाशों पर राजनीतिक रोटियां सेंंकी हैं। यह अन्नदाता का अपमान है। किसानों के आंदोलन के नाम पर इन दलालों ने देश विरोधी कार्य करके किसानों को बदनाम किया है।

यह बात सामाजिक चिंतक, उद्योगपति एवं वरिष्ठ भाजपा नेता बोधराज सीकरी ने दलालों को अन्नदाता के नाम पर राजनीति ना करने की सीख देते हुए कही है।

बोधराज सीकरी ने कहा कि यह आंदोलन किसान आंदोलन वर्सेज दलाल आंदोलन बन गया है। इस दौर में किसानों ने जिस धैर्य से काम लिया है, वह काबिले तारीफ है।

अन्नदाता आंदोलन में नहीं बल्कि खेत-खलिहानों में काम करता रहा। उसे अपनी फसलों की चिंता अधिक रही। आंदोलन के नाम पर शरारती तत्वों, दलालों ने देश के अलग-अलग स्थानों पर अराजकता फैलाने का काम किया। बहुत सी जगह वे इस काम में विफल भी रहे। किसानों ने ऐसे लोगों को अपने नजदीक तक नहीं आने दिया।

 

bodhraj sikri

 

श्री सीकरी ने कहा कि किसान ईश्वर स्वरूप हैं। अन्न देवता है। वह कर्मयोगी और कर्मठ मेहनतकश है। लेकिन दलाल लोग किसानों के भोलेपन का फायदा उठाने को सदा तैयार रहते हैं। खेतों में किसान पसीना बहाता है और दलाल उनके पसीने की कमाई खाता है। उसका नाजायज लाभ उठाता है।

जब सरकार ने किसानों को इससे छुटकारा दिलाने को कदम उठाया है तो दलालों और विपक्ष में बैठी पार्टियों को परेशानी होनी लाजिमी है। अपनी दलाली इन तीनों कानूनों से बंद होते देख दलाल ही एकजुट हुए और कुछ किसानों को बहकाने का प्रयास किए। कुछ को बहकाया भी, लेकिन समय के साथ किसानों को समझ में आ गया कि सरकार ने यह सब उनके हक, उनके फायदे के लिए किया है।

इसलिए आज आंदोलन समाप्ति की ओर है। दलालों के पसीने छूट रहे हैं। क्योंकि अब किसान उनके बहकावे में नहीं आ रहे। बोधराज सीकरी ने रोहतक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यक्रम को लेकर शरारती तत्वों ने विरोध के नाम पर जो हरकत की, वह लोकतंत्र में जायज नहीं कही जा सकती। विरोध करने के बहुत से तरीके हैं, लेकिन इस तरह से प्रदेश के मुखिया के समक्ष जो कुछ हुआ, वह निंदनीय है।

Translated by Google

Gurugram: Bodhraj Sikri – In the interest of the farmers, under the leadership of Prime Minister Narendra Modi, the central government brought three ordinances, but by opposing these ordinances, the brokers have baked political bread on the dead bodies of the toiling farmers. This is an insult to the food giver. In the name of the farmers’ movement, these brokers have defamed the farmers by doing anti-national work.

Social thinker, industrialist and senior BJP leader Bodhraj Sikri has said this while teaching brokers not to do politics in the name of food providers.

Bodhraj Sikri said that this movement has become Kisan Andolan vs Dalal Andolan. The patience with which the farmers have worked during this period is commendable.

He did not work in the food provider movement but kept working in the fields. He was more worried about his crops. In the name of the movement, mischievous elements, brokers worked to spread anarchy at different places of the country. In many places they also failed in this work. The farmers did not allow such people to even come close to them.

Shri Sikri said that farmers are God’s form. Food is god. He is a Karmayogi and a hard worker. But the brokers are always ready to take advantage of the innocence of the farmers. Farmers sweat in the fields and brokers eat their sweat earnings. Takes undue advantage of him.

When the government has taken steps to get rid of the farmers from this, then the brokers and the parties sitting in the opposition are bound to face trouble. Seeing their brokerage being closed by these three laws, only the brokers united and tried to mislead some farmers. Some were misled as well, but with time the farmers understood that the government has done all this for their rights and their benefit.

That’s why today the movement is towards the end. Brokers are losing their sweat. Because now the farmers are not coming under their influence. The mischievous elements who acted in the name of protesting against Chief Minister Manohar Lal’s program in Rohtak by Bodhraj Sikri cannot be called justified in a democracy. There are many ways to protest, but what happened in front of the head of the state in this way is condemnable.

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