Viral Sach – गुरुग्राम : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं प्रसिद्ध उद्योगपति Bodhraj Sikri ने कोरोना महामारी के चलते होली के पर्व पर सरकार के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध की सराहना करते हुए आमजन से अपील की है कि वे इस पर्व को अपने घरों में रहकर ही मनाएं। कोरोना से लड़ाई में सरकार का सहयोग करें।
होली पर्व को लेकर जागरुक करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना काल ने हमें बहुत कुछ नया सिखाया है। कम सुविधाओं में हमें जीना सिखाया है। अब एक बार फिर से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम सबकी यह जिम्मेदारी बन जाती है कि सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करें।
केंद्र सरकार और राज्य सरकारें इस पर गंभीरता से काम कर रही है। हम सबको कोरोना महामारी के इस समय में मास्क तो लगाकर रखना ही है, साथ में सामाजिक दूरी व हाथ धोना जरूरी है। यह छोटी-छोटी बातें हमें स्वस्थ व सुरक्षित रखने में सहयोग करती हैं। उन्होंने आमजन से अपील की है कि जहां तक संभव हो, अपने स्तर पर अपना बचाव करें।
केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए सर्कुलर जारी किया है, जिसमें आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 22 के तहत पाबंदियां लगाने का सुझाव दिया गया है। होली पर बच्चों को भी बाहर निकलने से रोकना होगा। क्योंकि बच्चे ज्यादा उत्साहित रहते हैं। यह उत्साह उनकी सेहत खराब होने का कारण बन सकता है।
कोरोना का टीकाकरण किया जा रहा है। सरकार द्वारा तय नियमों के अनुसार टीकाकरण कराएं। होली के पर्व पर हमें सार्वजनिक समारोहों से बचना है। क्योंकि इनसे कोरोना का अधिक फैलाब हो सकता है।
बोधराज सीकरी ने होली पर्व मनाने के पीछे की कथा का जिक्र करते हुए कहा कि होली पर्व वसंत ऋतु में मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
इसी दिन से नववर्ष की शुरुआत भी होती है। इसलिए होली पर्व नवसंवत और नववर्ष के आरंभ का प्रतीक है। इतिहासकारों का मानना है कि ये पर्व आर्यों में भी प्रचलित था, लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था। श्रीमद्भागवत महापुराण में होली के रास का वर्णन है। महाकवि सूरदास ने वसंत एवं होली पर 78 पद लिखे हैं।
शास्त्रीय संगीत का होली से गहरा संबंध है। राजस्थान के अजमेर शहर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गाई जाने वाली होली के गानों का रंग ही अलग है।
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Viral News – Gurugram: Senior Bharatiya Janata Party leader and famous industrialist Bodhraj Sikri, while appreciating the government’s ban on public programs on the festival of Holi due to the Corona epidemic, has appealed to the common people to celebrate this festival by staying in their homes. Celebrate. Cooperate with the government in the fight against Corona.
Creating awareness about Holi festival, he said that the Corona period has taught us many new things. Taught us to live in less facilities. Now once again the cases of corona are increasing. In such a situation, it becomes the responsibility of all of us to follow the guidelines issued by the government.
The Central Government and the State Governments are working seriously on this. In this time of corona epidemic, we all have to wear masks, along with social distancing and washing hands is necessary. These small things help in keeping us healthy and safe. He has appealed to the general public to defend themselves at their own level as far as possible.
The central government has issued a circular to the states, suggesting restrictions under section 22 of the Disaster Management Act. Children will also have to be stopped from going out on Holi. Because children are more excited. This enthusiasm can cause their health to deteriorate.
Corona vaccination is being done. Get vaccinated as per the rules set by the government. We have to avoid public gatherings on the festival of Holi. Because they can cause more spread of corona.
Referring to the story behind the celebration of Holi festival, Bodhraj Sikri said that Holi festival is celebrated in spring. This festival is celebrated on the full moon day of Phalgun month according to the Hindu calendar.
The new year also starts from this day. That’s why Holi festival is a symbol of the beginning of new year and new year. Historians believe that this festival was also prevalent among Aryans, but mostly it was celebrated in Eastern India only. There is a description of the Raas of Holi in Shrimad Bhagwat Mahapuran. Mahakavi Surdas has written 78 verses on Vasant and Holi.
Holi is closely related to classical music. Holi songs sung at the shrine of Khwaja Moinuddin Chishti in Ajmer city of Rajasthan have a different colour.
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