गुरुग्राम : Christmas को लेकर शहर में धूम मची है। शहर के विभिन्न स्थानों पर स्थिति गिरजाघरों में प्रार्थना सभा व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी चल रहा है। बाजारों सहित होटल, बड़े शोरुम आदि में भी क्रिसमस का पर्व मनाने के लिए तैयारियां कर ली गई हैं।
बच्चों को आकर्षित करने के लिए दुकानदारों ने सैंटा क्लॉज का वेशधारण किए पुतलों को प्रतिष्ठानों में खड़ा कर दिया है जो बच्चों को टॉफियां आदि भी बांट रहे हैं। क्रिसमस ट्री भी सभी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बाजार में क्रिसमस से संबंधित सामग्री की खरीददारी भी की जा रही है।
ईसाई समुदाय के जानकारों का कहना है कि क्रिसमस शांति का संदेश लाता है। शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा संघर्ष एवं हिंसा का धर्म में कोई स्थान नहीं है। ईसा ने कहा भी था कि धन्य हैं वे जो मेल कराने वाले हैं।
उनका कहना है कि ईसा मसीह के जन्म की पहली खबर ईश्वर द्वारा अपने स्वर्ग दूतों के माध्यम से संसार के सबसे निर्धन लोगों को दी गई थी। वे गडरिया समुदाय के थे। स्वर्गदूतों ने उनसे कहा था कि तुम्हारे बीच एक ऐसे बालक ने जन्म लिया है जो तुम्हारा राजा होगा। ईसा मसीह ने एक गरीब व्यक्ति के घर ही जन्म लिया था। क्योंकि वे इस दुनिया के गरीब, भोले-भाले व ईश्वर को मानने वाले लोगों का उद्धार करने के लिए आए थे।
ईसा मसीह ने कभी भी इंसान-इंसान में भेद नहीं किया। उनके लिए सभी एक समान थे। वे सबको परमपिता परमेश्वर की संतान मानते थे। उन्होंने महिलाओं को पर्याप्त सम्मान दिया था। उनका यह भी कहना है कि 30 वर्ष की आयु में ईसा मसीह ने सामाजिक व्यवस्था के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद की। ऊंच-नीच, जाति-पाति, नस्लभेद की सारी दीवारों को तोड़ते हुए दीन-दुखियों की सेवा करने का आह्वान भी किया था।
क्रिसमस एक अनोखा पर्व है जो ईश्वर के प्रेम, आनंद एवं उद्धार का संदेश देता है। क्रिसमस का यह पर्व अब केवल ईसाई समुदाय के लोगों तक ही सीमित नहीं रह गया है। अपितु सभी समुदाय के लोग मिल-जुलकर इस पर्व को उल्लास के साथ मनाते हैं। यह पर्व मानव जाति के उद्धार के लिए ईश्वर के द्वारा की गई पहल को दर्शाने वाला पर्व भी है।
सिविल लाईंस क्षेत्र स्थित चर्च ऑफ एफिफेनी, न्यू कालोनी मोड स्थित सेंट माइकल, कन्हई आदि स्थानों पर स्थित गिरजाघरों में भी क्रिसमस कैरेल गाकर प्रभू यीशू की स्तुति भी की जा रही है।