गुरुग्राम। कांग्रेस के जिला मीडिया कॉर्डिनेटर एवं जिला चेयरमैन व्यापार सैल भारत मदान ने पूर्व प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि देश के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है। उनके जैसा अर्थशास्त्री इस देश को मिलना असंभव है। उन्होंने अपने अर्थशास्त्र से देश को मंदी के दौर से बाहर निकाला।
भारत मदान ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के संकटमोचक डॉ. मनमोहन सिंह ने मात्र दो सप्ताह में ही देश की तकदीर बदल दी थी। 1991 का साल भारतीय आर्थिक इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ था। देश गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा था। तेल की बढ़ती कीमतें, घटता विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ता राजकोषीय घाटे से भारतीय अर्थव्यवस्था डूबने के कगार पर थी।
भारत देश के पास केवल दो सप्ताह के आयात के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा बची थी। ऐसे मुश्किल समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह ने साहसिक निर्णय लेकर भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकाला। डॉ. मनमोहन सिंह ने बिना देरी किए तुरंत ऐतिहासिक निर्णय लिया।
भारत मदान ने कहा कि डा. मनमोहन सिंह ने लाइसेंस प्रक्रिया को खत्म कर आयात और निर्यात को सरल बनाया। निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक उद्योगों का निजीकरण किया। विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 51 प्रतिशत कर दी। राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सब्सिडी घटाई गई और टैक्स सुधार किए गए।
जिला मीडिया कॉर्डिनेटर मदान ने कहा कि 24 जुलाई 1991 को पेश किया गया बजट आर्थिक सुधारों का अहम हिस्सा था। टैक्स में सुधार, म्यूचुअल फंड में निजी भागीदारी और विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले गए. इन सुधारों से भारतीय बाजार को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली।
डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता और साहसिक नीतियों ने न केवल उस समय के संकट को टाला बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। आज की मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था उन्हीं सुधारों की नींव पर खड़ी है। उनके योगदान ने साबित कर दिया कि सही निर्णय और दृष्टिकोण किसी भी संकट को अवसर में बदल सकते हैं।