गुरुग्राम,(ब्यूरो) जहां पूरा देश अपने राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस की खुशियां मना रहा था, वही दूसरी तरफ किसान आंदोलन के नाम पर की गई निंदनीय, देशद्रोही हरकत ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है।
कल की घटना को देखकर कही न कही हमारे देश के शहीदों की आत्मा भी खून के आँसू रो रही होगी। हमारे देश के किसान तो हमेशा से ही अन्नदाता माने गए हैं लेकिन कल की हरकत ने अन्नदाता किसानों को भी बदनाम कर दिया।
क्या हमारा अन्नदाता किसान बसों की तोड़फोड़, बैरीगेटिंग, पुलिस के टैंट तोड़ सकते हैं? क्या पुलिस कर्मियों पर हमला कर सकते हैं? क्या तिरंगे झंडे का अपमान कर सकते हैं? क्या यह सब करने वाले हमारे अपने अन्नदाता किसान हैं या कोई और ताकते हैं जो ऐसी अराजकता फैलाना चाहती हैं?
इस अराजकता ने देश के मूल विचारों को ठेस पहुंचाई है, जो कि अत्यंत शर्मनाक है।
लालकिले पर सिर्फ तिरंगा झंडा फहराया जाना चाहिए, इसके अलावा जिन भी लोगों ने झंडे का अपमान किया है, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।