गुरुग्राम,9 जनवरी 2021(प्रवीन कुमार)वाटर बॉडी एवं गैरमुमकिन पहाड़ की जमीन पर नगर नगम द्वारा पेट्रोल पंप के लिए आवंटन मामले में साइट पर हलचल होने से डीएलएफ क्षेत्र के निगम पार्षद आरएस राठी ने मुख्यमंत्री समेत वन विभाग हरियाणा सरकार व पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखकर आवंटन रद्द करने की मांग की है। इसकी शिकायत सचिव, वन विभाग हरियाणा, पर्यावरण मंत्रालय, प्रधान सचिव अर्बन लॉकल बॉडी, उपायुक्त व नगर निगम आयुक्त, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी भेजी है।
पार्षद आरएस राठी द्वारा लिखे पत्र में बताया कि अर्बन लॉकल बॉडी के प्रधान सचिव ने इंडियल ऑयल कोरपोरेशन लि0 को मार्च 2019 में डीएलएफ फेज-1 के पीछे चकरपुर गांव की पुरानी वाटर बॉडी और जंगल की जमीन में से 1500 वर्ग मीटर जमीन इंडियल ऑयल कंपनी को पेट्रोल पंप के लिए आवंटित कर दी है। जिसका मासिक किराया 2.25 लाख रुपये निर्धारित किया है। अब मौके पर हलचल होने से पार्षद के अलावा सामाजिक सस्थाएं, क्षेत्र की आरडब्लूयूए भी इसके विरोध में उतर आई है। बताया जा रहा है कि गुरुग्राम के कई विभागों ने एनओसी भी जारी कर दी है। यदि वन क्षेत्र में पेट्रोल पंप लगता है तो यह इलाका पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।
राठी का कहना है कि यह जमीन डीएलएफ फेज-1 के पीछे स्थित ई, एफ ब्लॉक व शिव नादर स्कूल के पीछे से निकल रही है और यह चौक खुशबु चौके के नाम से जाना जाता है जो कि आगे जाकर सीधा सनसेट बोलवर्ड रोड पर मिलता है। यदि इस प्रकार से सरकार व निगम घने जंगलों को उजाड़ेंगे तो शहर में पर्यावरण की ओर भी भयावह स्थिती बनेगी।
मौके पर विकसित हुआ तालाब और ट्रैक
नगर निगम-जीएमडीए ने आईएम गुरुग्राम संस्था के साथ मिलकर लाखो रुपये खर्च कर यहां पर पुराने तालाब का जीर्णोद्वार करने व लोगों के घूमने के लिए ट्रैक विकसित करने का काम पूरा कर लिया है। पौधारोपण अभियान के तहत काफी पौधे भी लगाए गए। राजस्व रिकार्ड के हिसाब से भी इस जमीन का खसरा गैरमुमकिन पहाड़ दर्शाया गया है जहां भी कोई भी गैरवानिकी कार्य नहीं किया जा सकता।
उच्च न्यायालय के आदेश- नहीं हो सकता गैरवानिका कार्य
यह जमीन वन क्षेत्र का हिस्सा है और इस जमीन व आस-पास के क्षेत्र को लेकर याचिका हरिन्द्र धींगडा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया याचिका के फरवरी 2020 के स्पष्ट आदेश है कि यहां पर कोई गैरवानिकी कार्य नहीं हो सकता।
वनविभाग ने नहीं दी एनओसी
कई विभागों से एनओसी मिलने के बीच वनविभाग ने इसके लिए एनओसी जारी नहीं की क्योंकि यह जमीन वन क्षेत्र का हिस्सा है इसलिए इसकी अनुमति केवन पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार की हाइ पावर्ड कमेटी ही दे सकती है। जिसके लिए जुलाई 2020 में वन विभाग ने एजेंसी द्वारा आनलाइन आवेदन करने को लेकर उपायुक्त को पत्र लिखा था।
मेरी तरफ से मुख्यमंत्री समेत तमाम संबंधित विभागों को पत्र लिखा गया है। यदि15 दिन के भीतर आवंटन रद्द नहीं हुआ तो मजबूरन हमे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
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