Viral Sach : Michael Saini – जनता के टैक्स रूपी धन में सेंध लगाने एवं उसे दीमक की तरह चट करने का कार्य निरंतर गत वर्षों से जारी है। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) को हरियाणा सरकार ने शहर को स्मार्ट आधुनिक, विकसित, सुविधायुक्त तथा भृस्टाचारमुक्त करने की मंशा से बनाया था।
परन्तु यही प्राधिकरण आमजन के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। दूसरी ओर यही भ्रष्ठ और रिटायर्ड अधिकारियों की पसंदीदा शरणस्थली बना हुआ है। जब्कि जनता को निचोडकर विभिन्न प्रकार के करों की उगाही के बावजूद खजाना खाली रहता है, जिसकी प्रमुख वजह मौजूदा सरकार की अनदेखी हो सकती है !
तरविंदर सैनी (माईकल) द्वारा एक आरटीआई में मांगी गई जानकारी के जवाब में रिटायर्ड कर्मचारियों व अधिकारियों की संख्या लगभग 50 बताई गई और उनकी सैलरीयां सवा लाख से पौने दो लाख बताई गई और तमाम खर्चो के बारे में जो आंकड़े प्राप्त हुए वह बेहद चोंकाने वाले हैं।
जो प्रत्येक अधिकारी पर करीबन 15 लाख वार्षिक खर्च होता है और प्रतिवर्ष 10 करोड़ 50 लाख है जो पिछले छ वर्षो से खर्च किया जाता रहा है और जिसका कोई भी लाभ स्थानीय जनता को नहीं मिला है !
माईकल सैनी के अनुसार अधिकांश रिटायर्ड अधिकारी बायोमेट्रिक हाजरियां भी नहीं लगाते हैं और पूरी सेलरियाँ पाते हैं, इनमें से कुछ तो अति वृद्धावस्था में भी किन्हीं सिफारिशों के कारण आज भी यहाँ टिके हुए हैं और कुछ काबलियत कम होने उपरांत भी उच्चपदस्थ हैं और जिन्हें बार-बार एक्सटेंशन मिल जाती है।
जब्कि अनेकों शिकायतों के उपरांत जारी सरकारी आदेशों में इन पर रोक लगाने बारे निर्णय लिया गया है। मगर कुछ अधिकारी योग्यता कम होने पर भी उच्च पदों पर बैठे हैं। निम्नलिखित – एस,के चहल (जॉइंट सीईओ)जो रिटायरमेंट के बाद भी ऑन ड्यूटी एचसीएस अधिकारी की पोस्ट पर नियुक्त है।
जब्कि इनके समानांतर रेगुलर पोस्ट पर अधिकारी मौजूद है, जिन्हें दरकिनार कर अतिरिक्त वित्तीय एवं निर्णायक शक्तियां इस अधिकारी को प्राप्त है जो सरासर नियमों के विरुद्ध प्रतीत होता है ।
इसी प्रकार एमआर शर्मा जो बर्खास्तगी के बावजूद (चीफ इंजीनियर) जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त हैं जो कि तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक जोशी द्वारा निष्कासित कर दिए जाने के बाद भी नियुक्त हैं। मगर किसने किया यह जांच का विषय है। मगर सवाल फिर वही है कि जांच कराए कौंन?
ठीक ऐसा ही एक और मामला पीडी शर्मा जिनके लिए अतिरिक्त पद निर्माण कर उन्हें (डिप्टी सेक्रेटरी) लगा रखा है जिन्हें सरकार ने रिटायर किया मगर अधिकारी बन सारी सुख सुविधाओं का मज़ा लेते रहने की चाह इन्हें हटने ही नहीं देती है।
एक और ऐसे ही अधिकारी माँगे राम जिनपर एक वरिष्ठ अधिकारी के लिए उगाही करने के आरोप लगे मगर लायक नहीं होने पर भी (एटीपी) जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त है। अश्वनी शर्मा भी (क़ानूनगो) पद पर नियुक्त हैं जिन्हें अपनी सुध है ना कानून की परन्तु जीएमडीए में जमे बैठे हैं।
नेहा शर्मा जो (पीसीओ) पद पर नियुक्त हैं जो एक रिटायर्ड (एचसीएस) अधिकारी अरुण शर्मा की पुत्रवधू बताई जाती हैं जो योग्यता न होते हुए भी सरकार से मोटी सैलरी और गाड़ी आदि की सुविधा ले रही तथा गाड़ी लायक पद नहीं होते हुए भी गाड़ी ड्राइवर मिला हुआ है मगर जीएमडीए में सब चलता है कि तर्ज पर चल रही है गाड़ी भी और नौकरी भी।
माईकल सैनी कहते हैं कि ऐसे और भी ना जाने कितने एक्सईएन, एसडीओ, जेई हैं जिनके नाम लिखना संभव नहीं हैं, मगर गुरुग्राम की जनता के टैक्स रूपी धन को इन रिटायर्ड अधिकारियों की सुख सुविधाओं पर लुटाया जा रहा है जो सरासर जनता के साथ धोखा देने जैसा है।
आवश्यकता नव युवकों को रोजगार का अवसर देने की है और जो समय की सबसे बड़ी माँग भी है मगर सरकार का इन रिटायर्ड अधिकारियों से मोहभंग हो तब तो वह बेरोजगार युवाओं के बारे में सोचे ?
Translated by Google
Viral News: Michael Saini – The work of making a dent in the public’s money in the form of tax and licking it like termites has been going on continuously for the past years. The Gurugram Metropolitan Development Authority (GMDA) was formed by the Haryana government with the intention of making the city smart, modern, developed, convenient and corruption-free.
But this authority is proving to be a white elephant for the common man. On the other hand, it remains the favorite refuge of corrupt and retired officials. While the treasury remains empty despite the collection of various types of taxes by squeezing the public, the main reason for which can be the neglect of the present government!
In response to the information sought by Tarvinder Saini (Michael) in an RTI, the number of retired employees and officers was told about 50 and their salaries were told from 1.25 lakh to 1.25 lakh and the figures received about all the expenses were very shocking. Are.
Which costs about 15 lakhs annually on each officer and is 10 crore 50 lakhs per year, which has been spent for the last six years and the local public has not received any benefit!
According to Michael Saini, most of the retired officers do not even put biometric attendance and get full salaries, some of them are still here due to some recommendations even in very old age and some are in high position even after their ability is low and who have been re-employed repeatedly. Bar extension is available.
Whereas in the government orders issued after many complaints, a decision has been taken to ban them. But some officers are sitting on high positions even after having less qualification. The following – S,K Chahal (Joint CEO) who is posted on the post of HCS officer on duty even after retirement.
Whereas parallel to these, there are officers on regular posts, bypassing whom additional financial and decisive powers are available to this officer, which seems to be completely against the rules.
Similarly, MR Sharma, who has been appointed to an important position (Chief Engineer) despite being fired by the then CEO Vivek Joshi, has been appointed. But who did it is a matter of investigation. But the question is again the same that who should get the investigation done?
Another such case is that of PD Sharma, for whom an additional post has been created and he (Deputy Secretary) has been appointed by the government, but the desire to continue enjoying all the pleasures and facilities as an officer does not allow him to withdraw.
Another such officer, Mange Ram, who was accused of extorting money for a senior officer but was appointed to an important post like (ATP) despite not being eligible. Ashwani Sharma is also appointed on the post of (legalist) who does not care about the law but is sitting in GMDA.
Neha Sharma who is appointed on the post of (PCO) who is said to be the daughter-in-law of a retired (HCS) officer Arun Sharma, who despite not having the qualification, is taking the facilities of a hefty salary and vehicle etc. The driver has been found, but everything works in GMDA that both the vehicle and the job are running on the lines.
Michael Saini says that there are so many other XENs, SDOs, JEs whose names are not possible to write, but the tax money of the people of Gurugram is being looted on the comforts and facilities of these retired officers, who are totally cheating the public. It’s like giving
The need is to provide employment opportunities to the youths and which is also the biggest demand of the time, but if the government is disenchanted with these retired officers, then it should think about the unemployed youths?
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