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Naveen Goyal – जमीन-जायदाद के साथ अब पृथ्वी में निवेश करने का समय

Naveen Goyal

 

Viral Sach –  Naveen Goyal – हमने बचपन से ही यह सुना और समझा है कि धरती हमारी मां है या धरती माता है। हम धरती माता को नमन करके आगे बढ़ते हैं। लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि जिस धरती पर रहकर हम सुख-सुविधाएं भोग रहे हैं, उसकी आज हालत क्या है।

अपने प्रयासों से हमें पृथ्वी में सुधार करना है। यह बात उन्होंने शुक्रवार को विश्व पृथ्वी दिवस पर यहां नई बस्ती वाल्मीकि मंदिर के पास आयोजित कार्यक्रम में कही।

इससे पूर्व नवीन गोयल ने नई बस्ती क्षेत्र में ईशू वाल्मीकि, सुल्तान वाल्मीकि, रिंकू वाल्मीकि, जुगेश कुमार, कुलदीप खेरालिया, राजकुमार खेरालिया, सुरेंद्र गहचंड, रमेश कुमार, ज्ञानेश्वर, सुशील सौदा, वीरभान, ईशु खेरालिया, गोपाल, मनीष सौदा, बहादुर, ब्रह्मप्रकाश, राजेंद्र सौदा, महेंद्र पंडित, सूरज खेरालिया के साथ मिलकर पौधारोपण करके लोगों को जागरुक किया।

इस बार के पृथ्वी दिवस का थीम भी-हमारी पृथ्वी में निवेश करें रखा गया है। उन्होंने कहा कि चाहे थोड़ी सी जगह मिले, वहीं पर हमें हरियाली करनी है। हर व्यक्ति धरती के सुधार में किसी न किसी रूप में सहयोग करें। प्लास्टिक के थैलों, थैलियों का इस्तेमाल बंद हो, इस उद्देश्य से यहां कपड़े के थैलों का वितरण किया गया।

उन्होंने कहा कि विषैली गैसों से, पर्यावरण प्रदूषण के कारण धरती (पृथ्वी) की हालत बहुत खराब हो चुकी है। ऐसे में अब समय आ गया है पृथ्वी में निवेश करने का। बच्चों, बड़ों, बुजुर्गों के बीच श्री गोयल ने जानकारी दी कि गलोबल वार्मिंग सिर्फ हमारे देश की समस्या नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया की है। सभी अपने-अपने प्रयासों से पृथ्वी के सुधार में लगे हैं।

इस बार के पृथ्वी दिवस पर थीम भी-पृथ्वी में निवेश रखा गया है। यानी हमें पृथ्वी में निवेश करके इसमें सुधार करना है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज (आईपीसीसी) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के पास धरती को बचाने के लिए मात्र 8 साल बाकी हैं।

इसके बाद धरती पर ग्लोबल वार्मिंग का स्तर इतना अधिक बढ़ जाएगा कि हमारे पास सुधार के भी विकल्प खत्म हो जाएंगे। वैज्ञानिक इस बात से बार-बार चेताते रहते हैं। हमें अब अपनी उन आदतों में बदलाव कर लेना चाहिए, जिनके कारण हमारा पर्यावरण खराब होता है और उसका सीधा दुष्प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है।

Naveen Goyal

Translated by Google

Viral Sach – Naveen Goyal – We have heard and understood since childhood that the earth is our mother or the earth is the mother. We move forward by bowing down to Mother Earth. But we also have to understand that what is the condition of the earth on which we are enjoying the comforts and facilities today.

We have to improve the earth by our efforts. He said this on Friday in a program organized near Nai Basti Valmiki Mandir here on World Earth Day.

Earlier, Naveen Goyal had elected Ishu Valmiki, Sultan Valmiki, Rinku Valmiki, Jugesh Kumar, Kuldeep Kheralia, Rajkumar Kheralia, Surendra Gahchand, Ramesh Kumar, Dnyaneshwar, Sushil Sauda, Veerbhan, Ishu Kheralia, Gopal, Manish Sauda, Bahadur, in New Basti area. Together with Brahmprakash, Rajendra Sauda, Mahendra Pandit, Suraj Kheralia, made people aware by planting saplings.

The theme of this year’s Earth Day has also been – Invest in our Earth. He said that even if we get a little space, we have to do greenery there. Every person should cooperate in one way or the other in the improvement of the earth. To stop the use of plastic bags, cloth bags were distributed here.

He said that the condition of the Earth has become very bad due to environmental pollution from toxic gases. In such a situation, now is the time to invest in the earth. Mr. Goyal informed among children, elders and elders that global warming is not only the problem of our country, but of the whole world. Everyone is engaged in the improvement of the earth with their own efforts.

The theme for this year’s Earth Day is Investing in the Earth. That is, we have to improve it by investing in the earth. The latest report by the Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) states that the world has only 8 years left to save the planet.

After this, the level of global warming on the earth will increase so much that we will run out of options for improvement. Scientists keep warning about this again and again. We should now change our habits, due to which our environment deteriorates and its direct effect falls on the earth.

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