Viral Sach :- ऑल हरियाणा पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने शनिवार को यहां पत्रकार वार्ता करके कहा कि सरकार और तेल कंपनियों की मनमानी से पम्प डीलर्स को करोड़ों का घाटा हो रहा है। वर्ष 2017 के बाद अब तक पिछले पांच साल में पम्प डीलर्स का कमीशन तेल कंपनियों ने नहीं बढ़ाया है, जबकि नियम यह है कि हर छह महीने के बाद डीलर कमीशन बढ़ाया जाना चाहिए। यह तेल कंपनियों ने खुद भी लिखित में स्वीकार किया हुआ है।
एसोसिएशन के प्रधान अनिल यादव ने कहा कि पिछले पांच साल में पेट्रोल की कीमत 160 प्रतिशत और डीजल की 150 प्रतिशत बढ़ चुकी है, लेकिन इस समय अंतराल में पंप डीलर्स का कमीशन एक बार भी रिवाइज नहीं किया गया है। भारत सरकार की ओर से गठित अपूर्व चंद्रा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भी यह कहा है कि पम्प डीलर्स को जो कमीशन मिलता है, उसका 90 फीसदी हिस्सा तो पम्प संचालित करने में ही खर्च हो जाता है। उनका जो खर्चा बढ़ा है, उसकी पूर्ति आज के दिन कमीशन से नहीं हो पा रही।
श्री यादव ने कहा कि नवंबर 2021 व मई 2022 में भारत सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में 15 से 20 रुपये प्रति लिटर की कटौती की है। जुलाई 2015 में पेट्रोल 17.46 रुपये, डीजल 10.26 रुपये तथा जुलाई 2021 में पेट्रोल 32.90 रुपये, डीजल 31.80 रुपये (कुल पेट्रोल 50.36 रुपये व डीजल 42.06 रुपये) की बढ़ोतरी की है, लेकिन बढ़ोतरी को डीलर के बिक्री मूल्य में नहीं जोड़ा गया है, जबकि घटाई गई एक्साइज ड्यूटी की राशि दोनों बार ही डीलर के बिक्री मूल्य से घटा दी गई हैं, जिससे प्रत्येक डीलर को लाखों रुपये का नुकसान भुगतना पड़ा है जो कि किसी भी प्रकार से न्यायसंगत नहीं है।
एसोसिएशन के महसचिव एमसी गुप्ता ने कहा कि पम्प डीलर्स को एक्साइज के घटने-बढऩे से बाहर रखना चाहिए। डीलर को एक्साइज ड्यूटी का पूरा भुगतान करने पर ही पेट्रोल, डीजल की पूरी सप्लाई दी जाती है। ऐसे में उनके बिक्री मूल्य में से एक्साइज ड्यूटी की राशि वापस कम करना ज्यादगी है। अनिल यादव ने कहा कि इन सब विषयों, समस्याओं को लेकर एसोसिएशन की ओर से तेल कंपनियों के चेयरमैन व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित में अनुरोध किया जा चुका है, लेकिन डीलर्स की समस्याओं का कोई हल नहीं हुआ है। उन्होंने सीमावर्ती राज्यों की तर्ज पर हरियाणा में भी बेसिक रेट कम करने की मांग की है।
गुरुग्राम से डीलर मनीष यादव व राकेश जैन ने बताया कि हरियाणा में 4000 तेल पम्प हैं। एक्साइज ड्यूटी कम करने से प्रत्येक पम्प को कम से कम 5 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। इस हिसाब से डीलर्स को 200 करोड़ रुपये से भी अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है, जो कि न्यायसंगत नहीं है। कंपनियों की ओर से कोर्ट में केस विचाराधीन की बात कहकर टाल दिया जाता है। जबकि हकीकत यह है कि आज तक किसी भी डीलर की ओर से अदालत की शरण नहीं ली गई है। कंपनियों से जब केस की जानकारी मांगी जाती है तो वे कुछ नहीं दे पाती। इससे साफ है कि तेल कंपनियों की मनमानी से डीलर्स के हक मारे जा रहे हैं।
ऐसे में पंप डीलर्स को निर्णय लेना पड़ा है कि आगामी 31 मई 2022 को हरियाणा राज्य में सभी तेल कंपनियों का कोई भी डीलर पेट्रोल व डीजल की सप्लाई नहीं लेगा। यानी पेट्रोल, डीजल नहीं खरीदा जाएगा। इसे नो पर्चेज नाम दिया गया है। जो पहले से स्टॉक में होगा, वही बेचा जाएगा। अगर सरकार ने तेल की खरीद पर से वेट कम नहीं किया तो आगामी समय में सरकारी वाहनों में उधार में तेल देना बंद किया जाएगा। जो भी समस्या उत्पन्न होगी, उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। क्योंकि अपनी मांगों को लेकर एसोसिएशन ने कई बार मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा है, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं मिल रहे। खुद प्रधानमंत्री प्रदेश सरकारों से वैट कम करने का आग्रह कर चुके हैं, लेकिन हरियाणा सरकार ने पीएम के निर्देशों की भी अनदेखी की है। इस अवसर पर उपाध्यक्ष राहुल जैन, पवन गोयल, महासचिव नकुल अग्रवाल, खजांची अशोक जैन, गुडग़ांव अध्यक्ष मनीष यादव के अलावा राकेश जैन, पवन गुप्ता, राज यादव, अनिल आदि मौजूद रहे।
हिमाचल के बराबर लिया जाए वैट
एसोसिएशन की ओर से जानकारी दी गई कि हरियाणा में डीजल पर वैट 16.80 फीसदी, चंडीगढ़ में 6.66 फीसदी, पंजाब में 10.912 फीसदी है। हिमाचल प्रदेश में डीजल पर वैट 4.40 रुपये प्रति लीटर है। इसी तरह पेट्रोल पर हरियाणा में वैट 19.11 फीसदी, चंडीगढ़ में 15.24 फीसदी, पंजाब में 15.147 फीसदी है। हिमाचल में 12.59 रुपये वैट प्रति लीटर पर लिया जाता है। मांग है कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर हरियाणा में वैट लिया जाए।
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