Viral Sach – दिल्ली : Sandeep Mishra – जहाँ जिस्म ने लड़ने से पहले ही हार मान लिया हो वहा असंभव को संभव कर भाग्य से भिड़, शरीर को साध, जीत के सांचे से सोना चांदी कांसे के तगमे गढ़ने के हुनर के दम पर ही जांबाज़ जिंदगी से जीत मेडल बटोर लाए।
किसी की बाजू कट गई थी, तो किसी के पैरों में खड़े होने का हौसला गंवा दिया था, किसी की कमर टूट गई थी तो किसी की उम्मीदों को पोलियो पी गया था… हारे शरीर में जीतने का साहस समेट सफलता का परचम लहराना इतना सरल ना था, पर इतिहास तो वही बनाते हैं जो संघर्ष में तप, साधना में रम, संयम से सीख सफलता को चूम लेते हैं।
टोक्यो में दुनिया के पैरा ओलंपिअन का मेला लगा जिंदगी में जिस्म की मजबूरी पर इरादों की मजबूती लिए तिरंगे के मान को बढ़ाने भारतीय दल भी इस खेल रण में जा भिड़ा लड़ाकुओं की बानगी मेडलो के रंग और संख्या बताने को प्रयाप्त है कि मुश्किल युद्ध में गौरव गाथा कैसे लिखी जाती है।
इन जांबाजो की जीतने की जिद्द ने हार को बार बार कई बार हराया, इतनी बार हारी हार कि मेडल बरसने लगे इन सोने चांदी के रंग की तगमो की बरसात ने हिंदुस्तान में उत्साह की तरंग बहा दी।
सुहास बुद्धि की पराकाष्ठा, सेवा में सर्वोच्च, साधना की प्रतिमूर्ति, संयम सरलता के स्वामी गौतम बुध नगर के जिलाधिकारी हैं। सोने से चूक चांदी लूट लाये, बैडमिंटन प्रतियोगिता में भारत की अभिलाषा को चांदी के तगमे में समेट लाने वाले सुहास देश के पहले आईएएस अधिकारी बनने का गर्व टोक्यो की जमीं से भारत साथ ले आये।
जिन्होंने ओलंपिक पदक वतन के नाम किया। टखने के विकार के बावजूद कभी हार ना मानने वाले सुहास करोड़ों हिंदुस्तानियों की जीत की जीती जागती मिसाल हैं जो मुरझाए मन की उम्मीद को फुहार दे जीतने का फूल खिलाते रहेंगे। सोने से चूक गए पर सोने वाले करोड़ों हिंदुस्तानियों को जगाने जीत बटोर लाने का गीत बन सदा सदा प्रेरित करते रहेंगे।
टोक्यो में टकराने वाले भारतीय खिलाड़ियों ने गीत का जो गीत गाया वह गूंज रहा है गांव-गांव, गली-गली महानता को महानतम, जीत को यादगार, संघर्ष को गौरवान्वित, साहस को मुकाम देने वाले इन सितारों ने मेडल की बरसात कर दी। पांच सोना आठ चांदी और छ: कांसे के तगमे मां भारती के जांबाज टोक्यो जापान से जीत लाए। यह अद्भुत, अनुकरणीय, वंदनीय साधना का प्रसाद है जहाँ जिस्म अधूरा, साहस पूरा वरदान बन सागर सम उत्साह के हिलोरे ले रहा है।
महज ग्यारह साल की उम्र थी अवनी लेखरा की एक सड़क हादसे में रीड़ की हड्डी टूट गई पैर नाकाम हो खड़े होने की हिम्मत न जुटा सका। फिर क्या कामयाबी की राह अवनी ने राइफल के दम पर तलाशी राइफल का सटीक निशाना सोने पर साध अवनी ने देश के नाम गोल्ड कर दिया।
एक ऐसे ही हादसे में सुमित अंतिल ने बांया पैर गंवा दिया एक पैर से ही दौड़ सुमित ने भाला इतनी दूर फेंका कि दुनिया दंग देखती रह गई और सोना हिंदुस्तान का हो गया। पिस्टल का ट्रिगर दबा गोली सोने पर दागने वाले मनीष अग्रवाल एक हाथ से लाचार हैं, पर ज़िद्द सोने से कम नहीं, इस जुनून के दम पर सोना भेद स्वर्णवीर बने।
बैडमिंटन में दुनिया को घुटने टीका सोना अपने नाम करने वाले प्रमोद भगत को पांच साल की उम्र में पोलियो हो गया था, लकवा पैर खराब कर सकता था कर भी दिया पर उनके साहस को न छू सकता था न छू पाया। एक लाइलाज बीमारी ने कृष्णा नागर का कद दबा दिया, छोटे कद को कृष्णा ने परिश्रम की पराकाष्ठा से इतना बड़ा, इतना ऊंचा बना दिया कि कृष्णा की सुनहरी जीत से तिरंगा आसमान में लहरा दिया गया, सात समुंदर पार जन गण मन बज उठा, हिंदुस्तान खिल उठा।
कुल 54 खिलाड़ी इस बार तिरंगा ले टोक्यो के रण में टकराए, जिसमें से पांच ने सुनहरे सोने को गले लगाया। तो वहीं भविना बेन ने टेबल टेनिस, निषाद कुमार ने ऊंची कूद, देवेंद्र झाझरिया ने भाला फेंक, योगेश ने डिस्कस थ्रो, प्रवीण कुमार ने ऊंची कूद, सिंह राज ने शूटिंग, मरियप्पन ने ऊंची कूद और आईएएस सुहास ने बैडमिंटन में चांदी की चमक वतन के नाम की। कांसा जीतने वालों में सुंदर सिंह गुर्जर ने भाला फेंक, सिंहराज ने दूसरा मेडल शूटिंग में, शरद कुमार ऊंची कूद, अवनि लखेरा ने दूसरी सफलता शूटिंग, हरविंदर सिंह तीरंदाजी और मनोज सरकार ने बैडमिंटन में जीता।
54 खिलाड़ियों की टीम ने 19 पदक अपने नाम कर लिए, जो साहस शौर्य सफलता का शिखर है जिसे आज तक इससे पहले भारत कभी छू नहीं पाया था। इस जीत ने हमें उस मुकाम पर पहुंचा दिया जो ख्वाब बन सदियों से आँखों में समाया था। साहस, प्रतिभा, लगन, संघर्ष के इन महावीरों ने सिद्ध कर दिखाया कि हौसला है तो मंजिल कदम चूमेगी ही।
यह बिना पांव के जीत की छाती पर ऐसा निशान है जो इतिहास के पन्नों से मिटाए नहीं मिटेगा, यह बिना बाजू के मेडल को छीन लाने का साहस है शौर्य बन जो सूरज की भांति सदा चमकता ही रहेगा, यह हौसले की जीत, हिम्मत की आराधना, साहस का दम, जीत का गीत, सफलता की वो अमिट गौरव गाथा है जो हम भारतीयों को सदा सदा प्रेरित करती रहेगी। यह हकीकत दास्तां बन सुनाई जाती ही रहेगी जिस्म अधूरा, साहस पूरा… मेडल की बरसात।
Translated by Google
Viral Sach – Delhi: Sandeep Mishra – Where the body has given up even before fighting, fight with luck by making the impossible possible; Collected the victory medal from
Someone’s arm was cut off, someone had lost the courage to stand on their feet, someone’s back was broken, someone’s hopes were crippled by polio… It was not easy, but history is made only by those who have tenacity in struggle, rum in meditation, learn self-restraint and kiss success.
Para-Olympians of the world held a fair in Tokyo to increase the value of the tricolor, to strengthen the intentions of the body in life, the color and number of medals are enough to tell that the glory in the difficult war How is the story written?
The stubbornness of these bravehearts to win defeated the defeat many times, they were defeated so many times that the medals started raining.
Suhas is the culmination of intelligence, the supreme in service, the image of meditation, the master of restraint and simplicity, Gautam is the District Magistrate of Budh Nagar. Misplaced gold, brought silver loot, Suhas, who brought India’s ambition to a silver medallion in badminton competition, brought the pride of becoming the country’s first IAS officer to India from the land of Tokyo.
Who did the Olympic medal in the name of the country. Suhas, who never gave up in spite of an ankle disorder, is a living example of the victory of crores of Indians, who will continue to blossom the flowers of victory by sprinkling the hope of withering hearts. Missed out on sleeping, but will continue to inspire millions of sleeping Indians by becoming a song to win them victory.
The song sung by the Indian sportspersons who clashed in Tokyo is resonating in every village and every street. Maa Bharti’s bravehearts won five gold, eight silver and six bronze medals from Tokyo, Japan. This is a wonderful, exemplary, praiseworthy offering of worship, where the body is incomplete and courage is full of boon and is taking waves of enthusiasm like an ocean.
Avni Lekhra was only eleven years old, in a road accident, her spinal cord was broken, her leg failed and could not muster the courage to stand. Then what is the way to success, Avni searched with the help of rifle, Avni made the name of the country gold by hitting the right target of the rifle.
In one such accident, Sumit Antil lost his left leg. Running with one leg, Sumit threw the spear so far that the world was stunned and the gold belonged to India. Manish Agarwal, who used to press the trigger of a pistol and fired a shot at gold, is helpless with one hand, but stubbornness is no less than gold, on the basis of this passion, he became Swarnaveer.
Pramod Bhagat, who made his name by knocking down the world in badminton, had polio at the age of five, paralysis could have damaged his leg but it could not touch his courage and could not touch him. An incurable disease suppressed Krishna Nagar’s stature, Krishna made the small stature so big, so high by the culmination of hard work that the tricolor was hoisted in the sky with Krishna’s golden victory, Jana Gana Mana rang across the seven seas, Hindustan Bloomed up
A total of 54 players clashed in the Tokyo battle carrying the tricolor this time, out of which five embraced the golden gold. While Bhavina Ben won table tennis, Nishad Kumar high jump, Devendra Jhajharia javelin throw, Yogesh discus throw, Praveen Kumar high jump, Singh Raj shooting, Mariyappan high jump and IAS Suhas silver in badminton. of the name of Among those who won bronze, Sundar Singh Gurjar in javelin throw, Singhraj won second medal in shooting, Sharad Kumar in high jump, Avni Lakhera won second medal in shooting, Harvinder Singh in archery and Manoj Sarkar in badminton.
The team of 54 players won 19 medals, which is the pinnacle of courage and bravery success which India had never been able to touch till date. This victory has taken us to that point which was a dream kept in our eyes for centuries. These great heroes of courage, talent, dedication and struggle have proved that if there is courage then the steps will kiss the destination.
This is such a mark on the chest of victory without feet that will not be erased from the pages of history, this is the courage to snatch the medal without arms, be the bravery that will always shine like the sun, this victory of courage, worship of courage The courage of courage, the song of victory, that indelible glory of success is the story which will always inspire us Indians. This reality will continue to be told as a story. Body incomplete, courage complete… Medal rain.
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